"महाभारत के युद्ध में कौन-कौन से महान योद्धा लड़े?
क्या पांडवों के पास भीम और अर्जुन के समान वीर थे? आइए जानते हैं भगवद गीता के पहले अध्याय के पाँचवे श्लोक में!"


"भगवद गीता - अध्याय 1, श्लोक 5"

अत्र शूरा महेष्वासा भीमार्जुनसमा युधि |
युयुधानो विराटश्च द्रुपदश्च महारथः || 5||

"इस सेना में कई वीर और महान धनुर्धर हैं, जो युद्ध में भीम और अर्जुन के समान पराक्रमी हैं। इनमें युयुधान (सात्यकि), विराट, और महारथी द्रुपद सम्मिलित हैं।"

"इस श्लोक में दुर्योधन गुरु द्रोणाचार्य को यह बताने की कोशिश कर रहा है कि पांडवों की सेना में भी अद्भुत योद्धा मौजूद हैं। आइए, इन योद्धाओं को थोड़ा विस्तार से जानते हैं—"

सात्यकि (युयुधान) – श्रीकृष्ण के परम भक्त और महान योद्धा।
विराट – जिनके राज्य में पांडवों ने अज्ञातवास बिताया।
द्रुपद – द्रौपदी के पिता, जिन्होंने द्रोणाचार्य से शत्रुता निभाई।

"यह योद्धा केवल युद्धकला में ही निपुण नहीं थे, बल्कि धर्मयुद्ध में अपने कर्तव्य को निभाने के लिए भी तत्पर थे।"

"तो प्रिये भक्तो यह श्लोक हमें सिखाता है कि युद्ध में केवल बाहरी शक्ति ही महत्वपूर्ण नहीं होती, बल्कि धर्म का साथ होना भी आवश्यक है। भीम और अर्जुन जैसे योद्धा केवल बाहुबल से ही नहीं, बल्कि अपने धर्म और संकल्प के कारण विजयी हुए।"

"तो प्रिये भक्तो आज के जीवन में भी, यदि हम सच्चाई और धर्म के मार्ग पर चलते हैं, तो चाहे कितनी भी बड़ी चुनौतियाँ क्यों न आएं, हम विजयी होंगे।"